"बच्चों का पालन कैसे करे की वो महान बन जाएँ"
(Qualities of an obedient child)




तीन " F
" से ध्यान रखो , Firm , Fair और
Friendly यानि आप अपने बच्चों से Firm रहिये अपनी बात पर यानि काम की बात पर हमेशा
मजबूती से ठीके रहे , ऐसे नहीं होना चाहिए की कहा कुछ और किया कुछ और हमेशा ध्यान रखे
की बच्चा आपसे सब कुछ सिख रहा है। Fair रहिये जबरदस्ती की सजा देने , तुलना करने ,
चिड़ाने से बचे क्यूँकि यह सब देख बच्चा अपने आप में कुंठित या संकुचित हो जाता है
Friendly रहिये क्यूँकि कभी - 2 सजा देनी पड़ जाये तो आपका संबंध बिगड़े नहीं। क्यूंकि
अगर संबंध की नीव प्रेम से रखी हो तो सम्बन्ध कभी नहीं टूटते।
वैसे साधारणतः चार प्रकार के माता पिता होते है :
१) Authoritarian
यानि जैसा बोला
वैसा
कर,
जितना
बोला
उतना
कर
यह
Authority है
२)
Democratic यानि
मिल
बैठकर
बात
करने
वाले
माता
पिता
कुछ
खुद
कहते
है
और
कुछ
बच्चों
की
सुनते
है
पहले
के
समय
में
Authoritarian चलता था पर
आज
के
समय
की
मांग
इसकी
नहीं
आजकल
Democratic ठीक ज्यादा रहता
है
बच्चों
की
साथ
बैठकर
कुछ
समय
बिताये।
उनके
साथ
बैठे
बात
करे। किसी मामले
पर
चर्चा
करे।
उनको
Involve करें
Inform न
करें।
३)
Permission यानि
तेरा
मन
जो
करे
वो
कर
जो
भी
उसे
चाहिए
उसे
झट
से
दे
दिया
कोई
गिफ्ट
चाहिए
लो
दे
दिया
, बाइक
चाहिए
दे
दी
, मोबाइल
चाहिए
तुरंत
दे
दिया।
Permissive कोई मतलब ही
नहीं
है
बच्चे
को
जो
चाहिए
उसके
मांगने
से
पहले
ही
ला
दिया।
४)
Neglectful या
Uninvolved यानि बच्चा क्या
कर
रहा
है
किसके
साथ
बैठता
उठता
है
कोई
जानकारी
नहीं।
बच्चें
को
completely neglect कर रहे
हो।
अब आपको सोचना है की आप कौन हैं Authoritarian यानि जितना बोला उतना कर , Democratic हो यानि मिल बैठ के बात करते हैं और मामला सुलझाते हैं , Permissive हो यानि जो करना है वो कर या Neglectful हो यानि पता ही नहीं बच्चा क्या कर रहा है आपके पीछे से वो क्या क्या करता है पता ही नहीं Smoke करता या और भी कुछ गलत करता है।
सबसे अच्छा है Democratic होना , किसी बात को मिल बाँट कर सुलझाने सबसे अच्छा है नहीं तो बच्चा बिलकुल बेकार हो जाता है झूठ बोलने लगता है और वो ज्यादा झूठ बोल रहा है तो समझ लेना की आपने उसकी किसी गलती पर कुछ ज्यादा प्रतिक्रिया कर दी थी। और वो चुप चुप रहने लगता है लोगो से बोलना बंद कर देता है मैदान में हारा हुआ इंशान तो जीत सकता है पर मन से हरा इंसान कभी नहीं जीत सकता है। तो आपको इस पर काम करना जरुरी है की मन से न हारे बच्चा।

1) Encourage Innovative Thinking :- यानि बचपन से बच्चे को बढ़ावा दो की वो Innovative Process को built करे Innovative सोचे। उससे आप प्रश्न पूछे इससे उसमे आगे सोचने की क्षमता बढ़ेगी। और कुछ प्रश्न उसको पूछने का मौका उसे भी दे जिससे आप दोनों का bounding मजबूत होगी।

2)
Read Books with your Child :-
उसके
साथ
बैठकर
किताबे
पढ़े
और
पढ़ाये
, उसके
साथ
अच्छी
फिल्मे
देखे
जो
उसका
गुड
mindset कर
सके।
पर
ये
तरीका
ठीक
नहीं है की
उसको
बोल
दिया
की
ये
ले
अब
जा
के
पढ़
---नहीं,
उसके
साथ
बैठ
कर
पढ़ो।
क्यूँकि
याद
है
न
बच्चे
कॉपी
करने
में
अच्छे
होते
है
न
की
सुनकर
करने
में।

3) Mutual Questioning :- अपने और
बच्चो
के
बीच
एक
questioning का format built करें।
प्रश्न
पूछे
की
ऐसा
होगा
तो
क्या
होगा
वैसा
होगा
तो
क्या
होगा।
उसके
प्रश्नों
के
उत्तर
भी
दो
इससे
बच्चा
आपसे
बोलेगा
,आपसे
discuss करेगा
जिससे
आपका
संबंध
अच्छे
होंगें
और
बच्चा
काफी
अच्छी
thinking develop कर पायेगा।
4)
Play with your child :- अपने बच्चे के साथ खेलिए अगर आपकी दोस्ती
अपने बच्चे से हो गई तो आप से अच्छा व्यहवार भी करेगा और आप से कभी कोई बात नहीं छुपायेगा।
दरअसल बच्चे की सफलता की कुंजी ही यही है।
5)
Teach them Budgeting :- बच्चों को बजट सीखना चाहिए। इससे उसकी
emotional capability कम होगी और Intellectual capability बढ़ेगी। यानि उससे कह सकते है की बेटा में आपको एक हफ्ते
का 500 रूपये दूंगा और इसके अलावा कुछ नहीं मिलेगा। यदि आपको कोई खिलौना लेना खरीदना है तो आप कुछ दिन
रुको जब ये 1000 रूपये हो जाएँ तो आप ये खिलौना ले लेना या अगर तुम्हारे budget ये
खिलौना अभी भी नहीं आ रहा तो और दिन रुको जब ये 2000 रूपये हो जाएँ तब खरीद लेना। इससे बच्चा अपने emotional desire को कंट्रोल करना
सीख जायेगा और कैलकुलेटर लेकर छोटा मोटा हिसाब करना सीख जायेगा।
6)
LSRW(Learning/ Speaking/ Reading/ Writing) :- बच्चे को ज्यादा
से ज्यादा याद करने , बोलने , पढने , लिख़ने
की practice कराओ।
7)
Stories on healthy food or success :- अगर बच्चों को कोई कहानी
सुननी हो तो उन्हें अच्छे फलों के बारे में या खाने की आदतों के बारे में या सफलता
के बारे में सुनाओ।
8) Scenario based questioning :- उससे Scenario आधार पर प्रश्न पूछे
की ऐसा होगा तो क्या होगा या ऐसा होगा तो क्या होगा। या ऐसी परिस्तिथि में क्या करे
तो वो सोचेगा और अपने आप ही सफल होगा।

Passion Oriented Content :- उसे Passion Oriented Content दिखाओ यानि उसका वीडियो गेम्स खेलने का मन करता है खेलने दो पर उसमे देखो की उसमे Skill ( कौशल ) क्या है उसके skill के हिसाब से वीडियो देखो , यदि वो घर ही घर में वीडियो गेम खेलता रहता है बाहर नहीं जाता या वो बाहर ही खेलता रहता है अंदर नहीं आता तो दोनों को समान तवज्जू दो वीडियो गेम भी बच्चो को बहुत कुछ सिखाते है उनका दिमाग तेज होता है उनसे। थोड़ा थोड़ा Risk और Failure factor भी आने दो उनके जीवन में। जिससे वो हार कर उठना सीखेगा। यही तो वो बात है जिससे बच्चे Game changer बन पते है। जब भी कोई motivational content देखना हो तो सब साथ में बैठ कर देखे इससे उनका Can Do attitude बढ़ेगा यानि मैं भी कर सकता हूँ। बच्चे के साथ organizing करें यानि बच्चा अकेले कुछ organize नहीं कर सकता है जैसे आप bed सही कर रहे हो तो बच्चे के साथ करो उससे नहीं हो रहा उसकी मदद करो। आज हम अलमारी साफ करेंगे या आज हम washroom साफ करेंगे। धीरे धीरे उसको खुद करने को कहो नहीं होता उसकी हेल्प करो। जब कभी वो किसी काम को सही से करके दिखाए उसकी तारीफ करो , क्यूंकि यदि आप बच्चे के जिस काम की तारीफ करोगे बच्चा उस काम को अगले बरी से अच्छा करेगा। बच्चो की छोटी मोटी गलती पर टोको मत करने दो , अगर उसने कुछ गलत कर भी दिया तो उससे पूछो इस काम को और अच्छे से कैसे कर सकते थे बेटा।