बच्चों का पालन कैसे करे की वो महान बन जाएँ, qualities of an obedient child

 

"बच्चों का पालन कैसे करे की वो महान बन जाएँ"

(Qualities of an obedient child)

पालन पोषण का अर्थ लालन पालन बच्चों का विकास सैम मैम बच्चों की देखभाल बच्चों के पोषण बच्चों पर माता-पिता का प्रभाव बच्चों का मानसिक विकास 1 महीने के बच्चे की गतिविधियों बच्चे का डरना नवजात शिशु अंगड़ाई क्यों लेते है बच्चों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या नवजात शिशु को झटके आना बाल अधिकार निबंध बच्चों के कानूनी अधिकार PDF बाल सुरक्षा पर निबंध बाल शोषण रोकने के उपाय बाल सुरक्षा दिवस

अपने बच्चों को ऐसे पालें  की आपके बच्चे अपने खुद के बच्चों को आपकी विजय की कहानी बड़े गर्व से सुनाएं । बात करते है बच्चो को काबिल बनाने का सबसे बड़ा रहस्य क्या है। आज बात करते हैं Smart Parenting यानि समझदार माँ बाप बनने का सबसे बड़ा रहस्य जान कर अंदर से बिलकुल हिल ही जायेंगे आप पता है अभिमन्यु को चक्र भेदने की कला माँ के पेट में ही सिखने को मिल गई थी और भक्त प्रहलाद पांच साल के होते हुए भी सारे शास्त्र सीख गए थे। माँ बाप बच्चों के लिए First looking glass होते हैं यानि माँ बाप बच्चों के लिए सबसे पहला गुरु होते हैं माँ बाप कैसा व्यहवार करते हैं इस बात का बच्चों के जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। पहले जान लें की बच्चों के दिमाग में रहने के लिए सबसे पहले उनके जीवन में रहना होगा। माता पिता के चाहे कितने बड़े झगडे क्यों न हो उन्हें आपस में जल्दी निपटा लेने चाहिए। क्योंकि यहाँ माता पिता दोनों ही बच्चों के जीवन में बहुत महत्व रखते हैं न की अकेले माँ या अकेला बाप मायने रखता है। क्यूँकि यहाँ बच्चों के लिए सबसे जरुरी है Parenting यानि दोनों की साथ परवरिश , दोनों की साथ ही परवरिश। यानि साफ़ है दोनों चाहियें बच्चे को अच्छा भविष्य देने के लिए।

यहाँ बच्चों को एक साल तक बोलना और चलना सिखाते हैं जब बच्चा पहला शब्द बोलता है तो फूले नहीं समाते हो और आगे कई सालों तक उस ही बच्चे को चुप बैठो बोलते हैं बोलना भी बंद और चलना भी बस " चुप बैठो - चुप बैठो - चुप बैठो "   फिर क्यों सिखाया बोलना और चलना जब चुप बिठाना ही था। बच्चों को ये मत सिखाओ की वो क्या सोचे ये सिखाओ की वो कैसे सोचे। क्यूँकि अगर अपने बच्चों की परवरिश अच्छी नहीं दी तो आप का बच्चा आप खो बैठोगें ।
अच्छी माँ बाप होने की परख आपकी इस ही बात से होगी की बुढ़ापे में वो आपको कैसा व्यहवार लौटते है। अगर आपने बच्चों को अच्छी परवरिश नहीं दी तो उनके Social skill ( समाजिक व्यहवार ) ख़तम हो जाते हैं अंदर से ख़तम हो जाता है वो Unreliable (अविश्वसनीय) हो जाता है आप पर विश्वास नहीं करता। वो Careless ( बेपरवाह ) हो जाता है आप कुछ भी कहो आपकी बात को वो अनसुना कर देता है अपनी जिंदगी में वो Unstable Behavior ( अस्थिर व्यहवार ) का हो जाता है यानि अपनी कही बातों पर कभी टिकता नहीं। Argumentative Behavior (विवादपूर्ण व्यहवार) करने लग जाता है। छोटी छोटी बेवजह की बातों पर बहस करने लगता है  Rigid ( जिद्दी ) हो जाता है एक नहीं मानता आपकी।  Rude ( असभ्य ) हो जाता है Indiscipline (अनुशासनहीन ) हो जाता है। Antisocial behavior ( असामाजिक व्यवहार ) करता है Loner ( अकेला ) महसूस करता है कभी कभी Pessimistic (निराशावादी) व्यहवार करता है उसको Self Defeating thoughts ( आत्म पराजित विचार ) आते हैं। secretive ( गुप्त) व्यहवार का हो गया है अपनी बातें आपको नहीं बताता। छुपता है आपसे सबकुछ छुपाता है आपको वो दोस्त नहीं समझता उस में Fear of failure ( हार का डर ) है ये सब उसमे कैसे है अगर आपकी Parenting कमजोर है तो ये सब चीजे एक छोटे से बच्चे को बर्बाद कर देती हैं वक्त है संभल जाओ। 

बच्चों को ऐसा न बनाओ की वो क्या सोचे उसे ऐसा बनाओ की वो कैसे सोचे।  दरअसल, बच्चे बड़ो की बात सुनने में अच्छे नहीं होते बल्कि वो उनको कॉपी करने में अच्छे होते है। हिन्दू महाग्रंथ 'गीता' में भी लिखा है " यद्दाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः " यद् यानि जैसे जैसे , तत यानि वैसे वैसे। ध्यान देना, की जैसे -2 पिता कहेगा वैसे -2 पुत्र नहीं करेगा, पर जैसे -2 पिता करेगा पुत्र सयंम उस काम को करेगा।  यानि आप बोलोगे तो वो नहीं करेगा पर आप करोगे तो वो खुद उस काम को करने लगेगा। सीधा सा मतलब है की बच्चे कॉपी करना जानते है सुनना नहीं जानते है तो आप उन्हें Instruction ( निर्देश ) न दें। उसे Inspiration (प्रेरणा) दो जैसे-2 Leader कहेगा वैसे-2 Employee नहीं करेगा पर जैसे -2  Leader करेगा वैसे -2 Employee अपने आप करेगा। ऐसा कुछ माता पिता और बच्चों के साथ होता है

The greatest mark of Parents is how they treat their child when no one is looking यानि जब कोई नहीं देख रहा होता है तब आप बच्चों के साथ कैसे deal / treat करते है

तीन " F "  से ध्यान रखो , Firm , Fair और Friendly यानि आप अपने बच्चों से Firm रहिये अपनी बात पर यानि काम की बात पर हमेशा मजबूती से ठीके रहे , ऐसे नहीं होना चाहिए की कहा कुछ और किया कुछ और हमेशा ध्यान रखे की बच्चा आपसे सब कुछ सिख रहा है। Fair रहिये जबरदस्ती की सजा देने , तुलना करने , चिड़ाने से बचे क्यूँकि यह सब देख बच्चा अपने आप में कुंठित या संकुचित हो जाता है Friendly रहिये क्यूँकि कभी - 2 सजा देनी पड़ जाये तो आपका संबंध बिगड़े नहीं। क्यूंकि अगर संबंध की नीव प्रेम से रखी हो तो सम्बन्ध कभी नहीं टूटते।


वैसे साधारणतः चार प्रकार के माता पिता होते है :

१)      Authoritarian यानि  जैसा बोला वैसा कर, जितना बोला उतना कर यह Authority है

२)     Democratic यानि मिल बैठकर बात करने वाले माता पिता कुछ खुद कहते है और कुछ बच्चों की सुनते है पहले के समय में Authoritarian चलता था पर आज के समय की मांग इसकी नहीं आजकल Democratic ठीक ज्यादा रहता है बच्चों की साथ बैठकर कुछ समय बिताये। उनके साथ बैठे बात करे।  किसी मामले पर चर्चा करे। उनको Involve करें Inform करें।

३)     Permission यानि तेरा मन जो करे वो कर जो भी उसे चाहिए उसे झट से दे दिया कोई गिफ्ट चाहिए लो दे दिया , बाइक चाहिए दे दी , मोबाइल चाहिए तुरंत दे दिया। Permissive कोई मतलब ही नहीं है बच्चे को जो चाहिए उसके मांगने से पहले ही ला दिया।

४)    Neglectful या Uninvolved यानि बच्चा क्या कर रहा है किसके साथ बैठता उठता है कोई जानकारी नहीं। बच्चें को completely neglect कर रहे हो।

अब आपको सोचना है की आप कौन हैं Authoritarian यानि जितना बोला उतना कर , Democratic हो यानि मिल बैठ के बात करते हैं और मामला सुलझाते हैं , Permissive हो यानि जो करना है वो कर या Neglectful हो यानि पता ही नहीं बच्चा क्या कर रहा है आपके पीछे से वो क्या क्या करता है पता ही नहीं Smoke करता या और भी कुछ गलत करता है। 

सबसे अच्छा है Democratic होना , किसी बात को मिल बाँट कर सुलझाने सबसे अच्छा है नहीं तो बच्चा बिलकुल बेकार हो जाता है झूठ बोलने लगता है और वो ज्यादा झूठ बोल रहा है तो समझ लेना की आपने उसकी किसी गलती पर कुछ ज्यादा प्रतिक्रिया कर दी थी। और वो चुप चुप रहने लगता है लोगो से बोलना बंद कर देता है मैदान में हारा हुआ इंशान तो जीत सकता है पर मन से हरा इंसान कभी नहीं जीत सकता है। तो आपको इस पर काम करना जरुरी है की मन से हारे बच्चा।


तो
अब जानों बच्चों को अच्छी परवरिश देने का मन्त्र
:-

1)    Encourage Innovative Thinking :- यानि बचपन से बच्चे को बढ़ावा दो की वो Innovative Process को built करे Innovative सोचे। उससे आप प्रश्न पूछे इससे उसमे आगे सोचने की क्षमता बढ़ेगी। और कुछ प्रश्न उसको पूछने का मौका उसे भी दे जिससे आप दोनों का bounding मजबूत होगी।  

2)    Read Books with your Child :- उसके साथ बैठकर किताबे पढ़े और पढ़ाये , उसके साथ अच्छी फिल्मे देखे जो उसका गुड mindset कर सके। पर ये तरीका ठीक नहीं  है की उसको बोल दिया की ये ले अब जा के पढ़ ---नहीं, उसके साथ बैठ कर पढ़ो। क्यूँकि याद है बच्चे कॉपी करने में अच्छे होते है की सुनकर करने में।  

3)  Mutual Questioning :-  अपने और बच्चो के बीच एक questioning का format built करें। प्रश्न पूछे की ऐसा होगा तो क्या होगा वैसा होगा तो क्या होगा। उसके प्रश्नों के उत्तर भी दो इससे बच्चा आपसे बोलेगा ,आपसे discuss करेगा जिससे आपका संबंध अच्छे होंगें और बच्चा काफी अच्छी thinking develop कर पायेगा।

4)    Play with your child :- अपने बच्चे के साथ खेलिए अगर आपकी दोस्ती अपने बच्चे से हो गई तो आप से अच्छा व्यहवार भी करेगा और आप से कभी कोई बात नहीं छुपायेगा। दरअसल बच्चे की सफलता की कुंजी ही यही है।

5)    Teach them Budgeting :- बच्चों को बजट सीखना चाहिए। इससे उसकी emotional capability कम होगी और Intellectual capability बढ़ेगी।  यानि उससे कह सकते है की बेटा में आपको एक हफ्ते का 500 रूपये दूंगा और इसके अलावा कुछ नहीं मिलेगा।  यदि आपको कोई खिलौना लेना खरीदना है तो आप कुछ दिन रुको जब ये 1000 रूपये हो जाएँ तो आप ये खिलौना ले लेना या अगर तुम्हारे budget ये खिलौना अभी भी नहीं आ रहा तो और दिन रुको जब ये 2000 रूपये हो जाएँ तब खरीद लेना।  इससे बच्चा अपने emotional desire को कंट्रोल करना सीख जायेगा और कैलकुलेटर लेकर छोटा मोटा हिसाब करना सीख जायेगा।

6)    LSRW(Learning/ Speaking/ Reading/ Writing) :- बच्चे को ज्यादा से ज्यादा याद करने  , बोलने , पढने , लिख़ने की practice कराओ। 

7)    Stories on healthy food or success :- अगर बच्चों को कोई कहानी सुननी हो तो उन्हें अच्छे फलों के बारे में या खाने की आदतों के बारे में या सफलता के बारे में सुनाओ।

8)    Scenario based questioning :- उससे Scenario आधार पर प्रश्न पूछे की ऐसा होगा तो क्या होगा या ऐसा होगा तो क्या होगा। या ऐसी परिस्तिथि में क्या करे तो वो सोचेगा और अपने आप ही सफल होगा।


Passion Oriented Content :- उसे Passion Oriented Content दिखाओ यानि उसका वीडियो गेम्स खेलने का मन करता है खेलने दो पर उसमे देखो की उसमे Skill ( कौशल ) क्या है उसके skill के हिसाब से वीडियो देखो , यदि वो घर ही घर में वीडियो गेम खेलता रहता है बाहर नहीं जाता या वो बाहर ही खेलता रहता है अंदर नहीं आता तो दोनों को समान तवज्जू दो वीडियो गेम भी बच्चो को बहुत कुछ सिखाते है उनका दिमाग तेज होता है उनसे। थोड़ा थोड़ा Risk और Failure factor भी आने दो उनके जीवन में।  जिससे वो हार कर उठना सीखेगा। यही तो वो बात है जिससे बच्चे Game changer बन पते है। जब भी कोई motivational content देखना हो तो सब साथ में बैठ कर देखे इससे उनका Can Do attitude बढ़ेगा यानि मैं भी कर सकता हूँ। बच्चे के साथ organizing करें यानि बच्चा अकेले कुछ organize नहीं कर सकता है जैसे आप bed सही कर रहे हो तो बच्चे के साथ करो उससे नहीं हो रहा उसकी मदद करो। आज हम अलमारी साफ करेंगे  या आज हम washroom साफ करेंगे।  धीरे धीरे उसको खुद करने को कहो नहीं होता उसकी हेल्प करो। जब कभी वो किसी काम को सही से करके दिखाए उसकी तारीफ करो , क्यूंकि यदि आप बच्चे के जिस काम की तारीफ करोगे बच्चा उस काम को अगले बरी से अच्छा करेगा। बच्चो की छोटी मोटी गलती पर टोको मत करने दो , अगर उसने कुछ गलत कर भी दिया तो उससे पूछो इस काम को और अच्छे से कैसे कर सकते थे बेटा।

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